बच्चेदानी की गांठ का उपचार कैसे करें?
बच्चेदानी में गांठ होना क्या है?
बच्चेदानी में गांठे, महिला प्रजनन प्रणाली में सबसे अधिक होने वाले ट्यूमर होते हैं। ये गांठे छोटे ट्यूमर हैं जो गर्भाशय में स्मूथ मांसपेशीयों की कोशिकाओं और कोशिकाओं को जोड़ने वाले रेशेदार ऊतक से बनी होती हैं।
ऐसा माना जाता है कि प्रजनन के योग्य आयु की महिलाओं में से 20 से 50 प्रतिशत में बच्चेदानी में गांठ हो सकती है, हालांकि सभी का पता नहीं लगाया जा सकता है। केवल एक-तिहाई बच्चेदानी की गांठ ही ऐसी होती हैं जिनका शारीरिक जाँच के दौरान पता लगाया जा सकता है।
बच्चेदानी की गांठ कैंसर वाला ट्यूमर नहीं होता है, बल्कि यह एक बिना कैंसर वाला ट्यूमर है जो किसी महिला की बच्चेदानी में या इसके आसपास विकसित होता है। बच्चेदानी की गांठ का गर्भाशय के कैंसर के जोखिम को बढ़ाने से कोई संबंध नहीं हैं और ये कभी कैंसर में नहीं बदलती है।
बच्चेदानी की गांठों का आकार अलग-अलग हो सकता है, ये गांठे आकर में इतनी छोटी हो सकती है कि मानव आंखों से न देखी जा सके और इतनी बड़ी भी हो सकती है कि वे महिला के गर्भाशय को विकृत कर सकती और फैला सकती है।
किसी महिला की बच्चेदानी में एक या कई गांठे हो सकती हैं। कुछ मामलों में तो, अधिक गांठों के कारण बच्चेदानी इतनी फैल सकती है कि यह महिला की पसलियों तक पहुंच जाती है।
कई महिलाएं इस बात से पूरी तरह अनजान होती हैं कि उनकी बच्चेदानी में कोई गांठ है क्योंकि उनको इसका कोई लक्षण नहीं दिखता है। बच्चेदानी की गांठ मासिक धर्म में अत्यधिक रक्तस्राव, पेल्विक दर्द और बार-बार पेशाब आने का कारण बन सकती है।
बच्चेदानी की गांठ चार प्रकार होती हैं -
1.इंट्राम्युरल - बच्चेदानी की गांठ का सबसे आम प्रकार, जो बच्चेदानी की मांसपेशियों की परत में विकसित होती है।
2.सबसेरोसल - ये गांठे जो बच्चेदानी की परत के बाहर पेल्विस (श्रोणि) में विकसित होती हैं और आकार में बहुत बड़ी बन सकती हैं।
3.सबम्यूकोसल - बच्चेदानी की आंतरिक परत के नीचे मांसपेशियों की परत में विकसित होने वाली गांठों को सबम्यूकोसल कहा जाता है और गर्भ की गुहा में बढ़ती है।
4.पेडन्कुलेटेड - कुछ मामलों में, तो सबसेरोसल या सबम्यूकोसल गांठे ऊतक के पतले डंठल के सहारे बच्चेदानी से जुड़ी होती है। इन्हें पेडन्कुलेटेड गांठों के रूप में जाना जाता है।
बच्चेदानी में गाँठ बनने के कारण
अधिक मोटापा होना
कभी भी किसी बचे को जनम न दिया होना
यदि आपको पीरियड्स १० साल की उम्र से पहले ही शुरू हो गए है
BIRTH CONTROL PILLS का बहुत लम्बे समय तक उपयोग करते रहना
बहुत अधिक मात्रा में रोज़ शराब का सेवन करना
विटामिन डी की कमी होनी
अधिक मात्रा में रेड मीट का उपयोग करना
बच्चेदानी में होने वाली गांठ का इलाज
गांठ के आकार या लक्षणों के आधार पर आपके डॉक्टर पीरिऑडिक पेल्विक जाँच और अल्ट्रासाउंड करवाने को कह सकते हैं। कुछ महिलाओं में तो कभी भी कोई लक्षण नहीं दिखते हैं और न ही गांठों से जुड़ी कोई समस्या होती है, इस तरह के मामले में किसी इलाज की आवश्यकता नहीं है।
बच्चेदानी में गांठ का इलाज करने के लिए कई विकल्प हैं जिनमें सर्जरी के कई विकल्प उपलब्ध है जैसे कि - हिस्टेरेक्टॉमी, मायोमेक्टोमी, क्रायोसर्जरी, एमआरआई की मदद से हाई इंटेंसिटी फोकस्ड अल्ट्रासाउंड (एमआरजीएफयूएस) और यूट्राइन आर्टरी एम्बोलाइज़ेशन (यूएई) इत्यादि।
इसके अलावा दवाओं से भी इलाज किया जा सकता है कुछ मुख्य दवाएं जो आपके डॉक्टर द्वारा दी जाती हैं - मिफेप्रिस्टोन (आरयू- 486), डानाज़ोल (डेनोक्राइन), रालोक्सिफेन (इविस्ता), जीएनआरएच एनालॉग (लूप्रॉन और अन्य) और ओरल गर्भ निरोधकों की कम खुराक वाले फार्मूले इत्यादि
कुछ प्राकृतिक उपचार भी बच्चेदानी की गांठों पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं, जिनमें शामिल हैं -
एक्यूपंक्चर थेरेपी
योग
मसाज थेरपी
Gui Zhi Fu Ling Tang (जीएफएलटी), एक पारंपरिक चीनी दवा का फॉर्मूला
ऐंठन के लिए गर्म सेक का उपयोग करना (अगर आप अत्यधिक रक्तस्राव का अनुभव करती है तो गर्म सेक न करें)
आहार में परिवर्तन करने से भी मदद मिल सकती हैं। जैसे कि मीट और उच्च कैलोरी वाले खाद्य पदार्थों को कम खाएं। इसकी बजाय, अधिक फ्लैवोनोइड वाले भोजन, हरी सब्जियां, ग्रीन टी और ठंडे पानी में पायी जाने वाली मछली जैसे टूना या साल्मन का चयन करें।
फल और क्रुसिफेरस सब्जियां जैसे ऑरुगुला, ब्रोकोली, पत्ता गोभी, फूलगोभी, कोलार्ड ग्रीन और टरनिप ग्रीन खाने से आपकी परेशानी कम हो सकती हैं। क्रूसिफेरस सब्जियां बीटा कैरोटीन, विटामिन बी 9, विटामिन सी, विटामिन ई तथा विटामिन K और अन्य खनिजों में समृद्ध होती हैं। उनमें फाइबर भी भरपूर होता है।
नियमित व्यायाम भी बच्चेदानी की गांठों की आशंका को कम कर सकता है। यदि आपका वजन अधिक हैं तो वजन कम करें और अपने तनाव के स्तर को कम करें, इससे भी आपको लाभ पहुंचा सकता है

Post a Comment