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पेट (आंत) की टीवी के लक्षण और उसका उपचार

टीबी (तपेदिक) एक जानलेवा बीमारी है और सही समय पर इसके लक्षणों की पहचान न होने से बीमारी गंभीर रूप ले सकती है। सही समय पर टीबी के लक्षणों को पहचान कर इलाज लेने से आप इस गंभीर बीमारी का शिकार होने से बच सकते हैं। टीबी की बीमारी को लेकर लोगों में जानकारी की कमी के कारण अक्सर लोग इसकी पहचान नहीं कर पाते हैं। लोगों को ऐसा लगता है टीबी सिर्फ फेफड़ों में ही होती है, लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। टीबी शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकती है। पेट में भी टीबी की बीमारी होती है और सही समय पर इसके लक्षणों को पहचान कर उचित कदम उठाने से इसे जल्दी ठीक किया जा सकता है। आइए हेल्दी भारत के इस लेख में विस्तार से जानते हैं, पेट में टीबी की शुरुआत होने पर दिखने वाले लक्षणों के बारे में।


फेफड़ों में टीबी एक आम प्रकार की टीबी होती है। लेकिन जब फेफड़ों से बाहर टीबी होती है, तो तो इसे एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी कहते हैं। पेट में टीबी की समस्या को गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्यूबरक्लोसिस (Gastrointestinal Tuberculosis) भी कहते हैं।  माइकोबैक्टीरियम भी ट्यूबरक्लोसिस से संक्रमित हो जाता है। इसकी वजह से पेट में दर्द, स्टूल में ब्लड आना समेत कई गंभीर समस्याएं होती हैं। पेट में टीबी के लक्षणों की पहचान कर जांच कराने के बाद इलाज लेने से आप जल्दी इस समस्या से ठीक हो सकते हैं।"

पेट में टीबी होने पर दिखने वाले शुरुआती लक्षण इस तरह से हैं-

तेजी से वजन कम होना

खान खाने के बाद उल्टी होना

बार-बार दस्त होना और डायरिया

भूख न लगना या खाने का मन न होना

स्टूल के साथ खून आना

पेट के निचले हिस्से में तेज दर्द होना

लंबे समय से कब्ज बना रहना

अपेंडिक्स का दर्द होना


टीबी एक खास तरीके की बैक्टीरिया माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस के संक्रमण के कारण होती है। पेट की टीबी आंत (इंटेस्टाइन) के किसी भी हिस्से में हो सकती है। यह छोटी आंत, बड़ी आंत, अपेंडिक्स, कोलन, रेक्टम आदि में हो सकती है। इसकी वजह से आंत जकड़ जाती है।

पेट की टीबी का यदि पहले तीन महीने में पता चल जाये तो इसका उपचार आम टीबी की तरह आसानी से हो सकता है, लेकिन इसकी सबसे बड़ी चुनौती यही है कि यह जल्दी पकड़ में नहीं आती। जब तक यह पकड़ में आती है तब तक टीबी आंतों को गंभीर नुकसान पहुंचा चुकी होती है। इसकी वजह से आंतों में घाव हो जाते हैं और टीबी जानलेवा हो जाती है।


आमतौर पर पेट की टीबी के लक्षण दिखने पर डॉक्टर कुछ जांच कराने की सलाह देते हैं। पेट की टीबी का पता आमतौर पर अल्ट्रासाउंड जांच से नहीं चल पाता है। इसकी जांच के लिए डॉक्टर एंडोस्कोपी और मोंटेक्स टेस्ट (स्किन टेस्ट) व ईएसआर टेस्ट कराने की सलाह देते हैं। इन टेस्ट के माध्यम से पेट की टीबी की पहचान करने में आसानी होती है। जांच के बाद टीबी की पहचान होने पर डॉक्टर मरीज की स्थिति के हिसाब से इलाज करते हैं।

जांच के बाद मरीज की शारीरिक स्थिति और बीमारी की स्टेज के हिसाब से इसका इलाज किया जाता है। इस बीमारी में इलाज कई महीनों तक चल सकता है। आमतौर पर मरीज को छह महीनों के लिए कई तरह की दवाएं और एंटीबायोटिक्स के सेवन की सलाह देते हैं।

पेट की टीबी होने का सबसे प्रमुख कारण दूध को बिना उबाले पीना है, इसलिए दूध हमेशा अच्छी तरह उबाल कर ही पीएं। कच्चा दूध पीने से आंतों की टीबी का खतरा होता है। हल्के उबालने की स्थिति में भी टीबी का बैक्टीरिया ठीक से नष्ट नहीं होता। फेफड़ों की टीबी से भी यह रोग इंटेस्टाइन तक पहुंचता है। ऐसे में फेफड़ों की बीमारी वाले मरीज के खांसते समय उससे दूर रहें।

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