पीसीओडी: एक बीमारी और लक्षण
पीसीओडी क्या होता है (What is PCOD?)
पीसीओडी एक हॉर्मोनल समस्या है पीसीओडी महिलाओ में होने वाली एक आम समस्या है जिसका प्रमुख कारण हार्मोन्स में असंतुलन है। हार्मोन्स में असंतुलन अनेक कारणो से होता है जैसे कि मोटापा, शराब-सिगरेट का सेवन करना, अत्यधिक तैलीय और मसालेदार चीजों का सेवन करना, स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं से ग्रसित होना आदि।
पीसीओडी के कारण महिला को अनेक स्वास्थ्य संबंधित परेशानियों का सामना करना पड़ता है जैसे कि माहवारी अनियमित होना, पीरियड्स नहीं आना, चेहरे पर बाल और मुंहासे आना, श्रोणि में दर्द होना और कुछ मामलों में महिला को गर्भधारण करने में दिक्कतें आती है।
पीसीओडी के लक्षण
अनियमित मासिक धर्म (ओलिगोमेनोरिया)
मासिक धर्म का रुक जाना या न आना (एमेनोरिया)
भारी मासिक धर्म रक्तस्राव (मेनोरेजिया)
अत्यधिक बाल उगना (चेहरे, शरीर - पीठ, पेट और छाती सहित)
मुँहासे (चेहरा, छाती और ऊपरी पीठ)
भार बढ़ना
बालों का झड़ना (सिर पर बाल पतले हो जाते हैं और झड़ने लगते हैं)
त्वचा का काला पड़ना (गर्दन, कमर में और स्तनों के नीचे)
पीसीओडी के कारण
पीसीओडी में अतिरिक्त इंसुलिन का स्तर एण्ड्रोजन उत्पादन को बढ़ा देता ता है जो ओव्यूलेशन में कठिनाई का कारण बनता है।
अंडाशय असामान्य रूप से अधिक एण्ड्रोजन हार्मोन का उत्पादन करते हैं जो मुँहासे और अतिरोमता का कारण बन सकते हैं।
पीसीओडी से पीड़ित महिलाओं में निम्न-श्रेणी की सूजन होती है जिसके कारण एण्ड्रोजन उत्पादन का स्तर बढ़ जाता है जिससे रक्त वाहिकाओं या हृदय की समस्या भी हो सकती है।
वजन बढ़ना यानी मोटापा होना
किसी कारण पीरियड्स असंतुलन होना
कुछ मामलों में आनुवंशिक कारण होना
महिला की शरीर में इंसुलिन का स्तर अधिक होना
सिगरेट, शराब या ने नशीली पदार्थों का सेवन करना
डाइट में पोषक तत्वों से भरपूर चीजें शामिल नहीं होना
पीसीओडी के अन्य कारण भी हो सकते हैं जैसे कि रात में देर तक जगना और फिर देर तक सोना, तनाव में रहना।
पीसीओडी का घरेलू उपचार
आहार यानी डाइट में सकारात्मक बदलाव करना
स्वस्थ वजन बनाए रखना यानी मोटापा से बचना
नियमित रूप से व्यायाम, योग और मेडिटेशन करना
समय पर सोना और जगना तनाव से दूर रहना।
सिगरेट, शराब और दूसरी नशीली चीजों से दूर रहना
अत्याधिक तैलीय और मसालेदार चीजों का सेवन नहीं करना
फाइबर और कार्बोहाइड्रेट से भरपूर चीजों का सेवन करना चाहिए
अपनी डाइट में अंडा, दही और पनीर को शामिल करना
मीठी चीजों को अपनी डाइट में कम करना
हरी पत्तेदार सब्जियों, गाजर, मूली, चुकंदर और तजा फलों का सेवन करना
घरेलू नुस्खों का इस्तेमाल करने के बाद यादि कोई फायदा नहीं होता है तो आप डॉक्टर के पास जाईए और उनकी सलाह लीजिए।

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