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अचानक गर्भपात होने के लक्षण और उसके उपचार

गर्भपात होने के कारण लक्षण और उपचार
20वें सप्ताह से पहले गर्भावस्था का अचानक नष्ट हो जाना गर्भपात है। लगभग 10% से 20% ज्ञात गर्भधारण गर्भपात में समाप्त होते हैं। लेकिन वास्तविक संख्या अधिक होने की संभावना है. ऐसा इसलिए है क्योंकि कई बार गर्भपात जल्दी हो जाता है, इससे पहले कि लोगों को पता चले कि वे गर्भवती हैं।
कई शोध बताते हैं कि पहले तीन महीने में होने वाले गर्भपात ज्यादातर जीन की समस्या की वजह से होते हैं कई बार 3 महीने से अधिक वाले गर्भपात में भी जीन को मुख्य कारण माना जाता है गर्भपात के बाद महिलाओं में मानसिक बीमारी या डिप्रेशन का खतरा भी बढ़ जाता है. 35 साल से अधिक उम्र की महिलाओं में गर्भपात का खतरा अधिक होता है।
प्रेगनेंसी के बाद गर्भपात (Miscarriage) होना बहुत दुःख देेने वाला होता है माता-पिता बनने वाले जोड़ों के लिए यह भावनात्मक तौर पर भी परेशान करने वाला होता है, विशेषतौर पर मां के लिए प्रेगनेंसी के बाद गर्भपात होना बहुत मुश्किल समय होता है।


गर्भपात के लक्षण 
गर्भपात(garbhpat) होने पर पीड़ित महिला को कई तरह के लक्षण महसूस होते हैं जिसमें से ब्लीडिंग होना सबसे नॉर्मल लक्षणों में से एक है। इसके अलावा भी गर्भपात के कई लक्षण हैं जैसे- 

आमतौर पर गर्भपात का सबसे पहला लक्षण रक्तस्त्राव यानि ब्लीडिंग होता है, साथ ही पेट में मरोड़ और असहनीय दर्द होता है। 
अगर आपका गर्भपात (miscarriage symptoms) गर्भावस्था के शुरुआती समय में ही हो जाता है तो इस दौरान ब्लीडिंग हल्का होगा और फिर कुछ दिनों में काफी ज्यादा हो सकता है इसमें पीड़ित महिला खून के थक्के बाहर आते हुए भी महसूस करती हैं जो कुछ दिनों तक आते ही रहते हैं। 
कई गर्भवती (miscarriage) महिलाएं ऐसी भी होती हैं जिनमें गर्भावस्था के शुरुआती समय में ही कुछ खून के धब्बे दिखाई देते हैं लेकिन ज़रूरी नहीं कि ये गर्भपात ही हो, इस तरह की ब्लिडिंग हो जाती है जो कि 2 से 3 दिन तक चलती है। 
प्रेग्नेंसी (miscarriage symptoms) के शुरुआत स्टेज में ब्लिडिंग, खून के धब्बे और दर्द होना मोलर गर्भावस्था के लक्षण हो सकते हैं, इसलिए जब भी आपको ऐसे संकेत दिखाई दें तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें लपरवाही ना करें।  
कुछ महिलाओं को पता भी नहीं चलता कि वो गर्भपात (garbhpat) की शिकार हो गई हैं और गर्भपात (miscarriage symptoms) हो जाता है। इस दौरान उन्हे किसी भी तरह के लक्षण महसूस नहीं होते हैं। इस स्थिति में गर्भ की जांच स्कैन के द्वारा ही की जाती है। इ

गर्भपात के कारण
क्रोमोसोमल असामान्यता
गर्भपात भ्रूण में क्रोमोसोमल असामान्यता के कारण हो सकता है जो आनुवंशिक उत्परिवर्तन, पर्यावरणीय कारणों या दोनों के मिश्रण के कारण हो सकता है। क्रोमोसोमल असामान्यताएं बच्चे के असामान्य रूप से बढ़ने का कारण बन सकती हैं, जिससे अंततः गर्भपात हो सकता है।

संक्रमण
गर्भपात बैक्टीरिया या वायरल संक्रमण जैसी बीमारियों के कारण हो सकता है। गर्भावस्था के दौरान, ये बीमारियाँ माँ से भ्रूण में स्थानांतरित हो सकती हैं, जिससे भ्रूण बीमार हो सकता है और जीवित रहने में असमर्थ हो सकता है।

गर्भाशय संबंधी असामान्यताएं
गर्भपात गर्भाशय संबंधी विसंगतियों के कारण भी हो सकता है, जैसे अनियमित आकार का गर्भाशय या फाइब्रॉएड। ये विसंगतियाँ भ्रूण के विकास को बाधित कर सकती हैं और गर्भ में जीवित रहना एक चुनौती बन सकती हैं।

हार्मोनल असंतुलन
हार्मोनल असामान्यताएं भी मां में गर्भपात का कारण बन सकती हैं। हार्मोनल असंतुलन बच्चे के विकास को प्रभावित कर सकता है और उसके लिए गर्भ में जीवित रहना कठिन बना सकता है।

आयु
गर्भपात के लिए उम्र एक प्रमुख जोखिम कारक है। 18 वर्ष से कम या 35 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं में युवा महिलाओं की तुलना में गर्भपात की संभावना अधिक होती है और उम्र के साथ जोखिम बढ़ता है। 45 की उम्र के बाद गर्भपात की संभावना काफी बढ़ जाती है।

जीवन शैली
जीवनशैली विकल्प गर्भपात के लिए एक और जोखिम कारक है। धूम्रपान, शराब पीना और अधिक कैफीन का सेवन आपके गर्भपात की संभावना को बढ़ा सकता है। इसके अलावा, सीसा और पारा जैसे पर्यावरण प्रदूषकों को गर्भपात की संभावना बढ़ाने के लिए जाना जाता है।


गर्भपात का इलाज
गर्भपात का सही समय पर निदान कर लिया जाएए तो संक्रमण जैसी समस्या से बचा जा सकता है। ऐसा न होने पर महिला को खतरा हो सकता है।
पेल्विक जांच: इसमें डॉक्टर गर्भाशय ग्रीवा के फैलाव की जांच करते हैं।
अल्ट्रासाउंड: अल्ट्रासाउंड के दौरान डॉक्टर भ्रूण के दिल की धड़कन की जांच करके पता लगाएंगे कि भ्रूण सामान्य रूप से विकसित हो रहा है या नहीं।
ब्लड टेस्ट: इस दौरान डॉक्टर आपके रक्त का नमूना लेकर ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन ; एचसीजी के स्तर की तुलना पहले के स्तर से कर सकते हैं। अगर यह बदला हुआ आए तो यह समस्या का संकेत हो सकता है। इसके अलावा एनीमिया की जांच भी कर सकते हैं।
टिश्यू टेस्ट: अगर ग्रीवा से टिश्यू बाहर निकलने लगे हैं तो डॉक्टर गर्भपात का पता लगाने के लिए इनकी जांच सकते हैं।




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