आखिर क्यों होती है सर्दियों में कंपकंपी?
अगर सर्दियों में आपको ज्यादा ठंड महसूस होते हैं हमें अपने इम्युनिटी का ज्यादा ख्याल रखना चाहिए. इसके लिए अपनी डाइट में ड्राई फ्रूट शामिल करना चाहिए. हमें ऐसे पेय पदार्थों का सेवन करना चाहिए जो शरीर में गर्माहट पैदा करें. फाइबर युक्त भोजन को ज्यादा तवज्जो देनी चाहिए. इसके अलावा गर्म कपड़ों का खास का इस्तेमाल करना चाहिए।
कंपन को बढ़ाने वाले कारकों को खत्म या कम करने से फ़िज़ियोलॉजिक कंपन कम हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, कैफ़ीन से बचने, पर्याप्त नींद लेने और तनाव को कम करने से मदद मिल सके।
हमारी स्किन पर छोटे-छोटे छेंद होते हैं. जब आप गर्म महसूस करते हैं तो ये छेंद खुल जाते हैं और उनमें से पसीना निकलता है. पसीना निकलने से आपका शरीर ठंडा हो जाता है. लेकिन सर्दियों में यही छेंद बंद रहते हैं ताकि शरीर की गर्मी बाहर न जा सके और शरीर अपने नॉर्मल टेम्परेचर की रेंज में रहे।
जैसा कि हमने ऊपर बताया है हमारे स्किन की ऊपरी सतह के नीचे Nerve Cells होती हैं. इन्हीं की वजह से आप और आपका शरीर गर्म और ठंडे के बीच अंतर महसूस करता है. यही Nerve Cells बॉडी और दिमाग के बीच मैसेज के आदान-प्रदान का काम करतीं हैं. जब हमें ठंड लगती है और इसका मैसेज Nerve Cells दिमाग को देती है तो दिमाग दो तरह से रिएक्ट करता है. पहले तो स्किन की ब्लड वेस्सेल्स को कड़ा कर देता है जिससे यहां से कम खून बहता है और जिससे खून का नॉर्मल टेम्परेचर बना रहता और और बॉडी के बाकी सभी काम नॉर्मल टेम्परेचर पर होते रहते हैं. जब हमें ज्यादा ठंड लगती है और यही सिग्नल Nerve Cells दिमाग को भेजती हैं तो हमारा दिमाग स्किन पर मौजूद मांसपेशियों का कंपन यानि कन्ट्रैक्शन और रीलैक्सन (contraction and relaxation) शुरू करता है. इससे बॉडी का मेटाबॉलिज्म बढ़ता है और गर्मी पैदा होती है. ये गर्मी बॉडी को वापस नॉर्मल टेम्परेचर की ओर धकेलती है ताकि शरीर के अंदर सारे काम नॉर्मल टेम्परेचर पर होते रहें. आसान भाषा में कहा जाए तो ठंड लगने पर हमारा दिमाग शरीर को ठंड से बचाने के लिए कंपकंपी शुरू करता है. इस कंपकंपी से शरीर को गर्मी मिलती है।

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